26 नवंबर, 2020

सजल अनुरोध - -

हो सके तो एक पत्र आज लिखना, सभी
खो जाते हैं, समय के स्रोत में, आदिम
नदी, जरा व्याधि, सुख दुःख  
अपनी गहराइयों में ले
कर, मुहाने में कहीं
करती है पूर्ण
समर्पण,
पुनः  
उन पहाड़ियों में होगी बरसात, फिर - -
अनाम फूलों की, कोहरे से होगी
इत्र में डूबी बात, तुम अभ्र
की बूंदों से, कुछ दिल
के राज़ लिखना,
हो सके तो
एक पत्र
आज
लिखना। हालांकि, मेरा कोई स्थायी
घर नहीं, चारों तरफ़ हैं उन्मुक्त
वातायन, केवल यायावर
मेघ जानते हैं, मेरा
ठिकाना, मेरी
दुनिया का
कोई
विमुग्ध दर नहीं, जो भिगो दे अंतर
के मरुप्रान्तर को, कुछ झरनों
की सजल आवाज़ लिखना,
हो सके, तो एक पत्र,
ज़रूर आज
लिखना।
हर
तरफ़ है यहाँ एक अजीब सी उदासी,
हर कोई जी रहा है तनहा, अपने
ही दायरे में, जो मृत सुरों
में भर जाए जीवंत
ताल छंद, ऐसा
कोई सांस
लेता,
मीठे लफ़्ज़ों में ढला, साज़ लिखना, -
हो सके तो सुरभित कोई पत्र
आज लिखना - -

* *
- - शांतनु सान्याल

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