मुझे अपने क़फ़स ए दिल में,
बुलाती हैं मुझे ख़ामोश
वादियाँ, देती हैं
सदा सहरा
की
तन्हाइयाँ, न जाने क्या छुपा है उस ना
शनास मंज़िल में, भटकती हैं
निगाहें, रूह भी है बेताब
सी, कि मेरा वजूद
है, गोया इक
ग़ज़ाल
प्यासी, भटके है मुसलसल ये ज़िन्दगी
नमकीन साहिल में, न रख मुझे
बंद, यूँ ख़ूबसूरत शीशी में,
कि मैं हूँ इक ख़ुश्बू
ए वहशी, खो
जाऊँगा
न जाने कब घुटन के जंगल में, न रख
मुझे अपने क़फ़स ए दिल में - -
* *
- शांतनु सान्याल
क़फ़स ए दिल - दिल के पिंजरे में
ना शनास - अजनबी
ग़ज़ाल - हिरण
साहिल - किनारा
वहशी - जंगली
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One day I'll Fly Away - by wallis