तुम्हारी अपनी थी ज्ञप्ति या इदराक
जो भी कह लो, दरअसल सब
कुछ तै था जनम के
साथ, उसने
लिखा
था जो कुछ वो तुमने निभाया, बस
वहीँ तक था सफ़र, ख़ूबसूरत
वहम के साथ, तुम्हारा
किरदार है ख़ुद
इक आईना,
अक्स
को क्या लेना किसी दीन ओ धरम
के साथ, न देख मुझे यूँ बद -
गुमां की नज़र से
न तू है कोई
कामिल
इन्सां, न मेरा है कोई रिश्ता संग - -
ए सनम के साथ, दरअसल
सब कुछ तै था जनम
के साथ - -
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.in/
lotus-garden
जो भी कह लो, दरअसल सब
कुछ तै था जनम के
साथ, उसने
लिखा
था जो कुछ वो तुमने निभाया, बस
वहीँ तक था सफ़र, ख़ूबसूरत
वहम के साथ, तुम्हारा
किरदार है ख़ुद
इक आईना,
अक्स
को क्या लेना किसी दीन ओ धरम
के साथ, न देख मुझे यूँ बद -
गुमां की नज़र से
न तू है कोई
कामिल
इन्सां, न मेरा है कोई रिश्ता संग - -
ए सनम के साथ, दरअसल
सब कुछ तै था जनम
के साथ - -
* *
- शांतनु सान्याल
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बिधाता जब जनम जुगाए, गिनकर दय उर साँस ।
जवाब देंहटाएंधरे जोगवना जब लग, सबकुछ तेरे पास ।१४८७।
भावार्थ : -- विधता ने जब जन्म का संयोग किया, तब हृदय को गिन कर ही सांस दी थी। जब तक यह संचित रहेगी तब तक तेरे पास सबकुछ है, सांस टूट जाने के पश्चात तेरे पास कुछ नहीं होगा ॥
असंख्य धन्यवाद - - माननीय मित्र- - नमन सह
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