वो सजल अहसास जो तैरती हैं - -
अक्सर निगाहों की सतह
पर, ग़र तुम्हारे
दामन की
पनाह
पाते, तो शायद मोती हो जाते, वो
शीत दहन जो सुलगती है
मद्धम मद्धम, दिल के
बहोत अन्दर,
काश,
तुम्हारी साँसों की छुअन पाते, तो
शायद अनन्त ज्योति हो
जाते, वो अंकुरित
प्रणय जो
चाहता
है परिपूर्ण प्रस्फुटन, जो तुम्हारे - -
चाहत का प्रतिदान पाते,
तो शायद दिव्य
आहुति
हो जाते, ग़र तुम्हारे दामन की - -
पनाह पाते, तो शायद
मोती हो
जाते,
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.in/
poetry in aquarelle art
अक्सर निगाहों की सतह
पर, ग़र तुम्हारे
दामन की
पनाह
पाते, तो शायद मोती हो जाते, वो
शीत दहन जो सुलगती है
मद्धम मद्धम, दिल के
बहोत अन्दर,
काश,
तुम्हारी साँसों की छुअन पाते, तो
शायद अनन्त ज्योति हो
जाते, वो अंकुरित
प्रणय जो
चाहता
है परिपूर्ण प्रस्फुटन, जो तुम्हारे - -
चाहत का प्रतिदान पाते,
तो शायद दिव्य
आहुति
हो जाते, ग़र तुम्हारे दामन की - -
पनाह पाते, तो शायद
मोती हो
जाते,
* *
- शांतनु सान्याल
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