वो किसी अनाम फूल की ख़ुश्बू !
बिखरती, तैरती, उड़ती, नीले नभ
और रंग भरी धरती के बीच,
कोई पंछी जाए इन्द्रधनु से मिलने
लाये सात सुरों में जीवन के गीत,
वो कोई अबाध नदी कभी इस
तट कभी उस किनारे गाँव गाँव ,
घाट घाट बैरागी मनवा बंधना
कब जाने पीपल रोके, बरगद टोके
प्रवाह बदलती वो कब रुक पाती
कलकल सदा बहती जाती
वो कोई अनुरागी मुस्कान
अधर समेटे मधुमास,
राह बिखेरे अनेकों पलास,
हो कोई अपरिभाषित प्रीत
आत्मीयता का नाम न दो
ख़ुश्बू, पंछी और नदी
रुक नहीं पाते रोको लाख
मगर, ये बंजारे भटकते जाते
सागर तट के घरौंदें ज्यों
बहते जाये लहरों के बीच।
* *
-- शांतनु सान्याल
बिखरती, तैरती, उड़ती, नीले नभ
और रंग भरी धरती के बीच,
लाये सात सुरों में जीवन के गीत,
वो कोई अबाध नदी कभी इस
तट कभी उस किनारे गाँव गाँव ,
घाट घाट बैरागी मनवा बंधना
कब जाने पीपल रोके, बरगद टोके
प्रवाह बदलती वो कब रुक पाती
कलकल सदा बहती जाती
वो कोई अनुरागी मुस्कान
अधर समेटे मधुमास,
राह बिखेरे अनेकों पलास,
हो कोई अपरिभाषित प्रीत
आत्मीयता का नाम न दो
ख़ुश्बू, पंछी और नदी
रुक नहीं पाते रोको लाख
मगर, ये बंजारे भटकते जाते
सागर तट के घरौंदें ज्यों
बहते जाये लहरों के बीच।
* *
-- शांतनु सान्याल
बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति ...
जवाब देंहटाएंकृपया वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ...
वर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो करें ..सेव करें ..बस हो गया .
जवाब देंहटाएंजय मां हाटेशवरी.......
आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की इस रचना का लिंक भी......
23/08/2020 रविवार को......
पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
शामिल किया गया है.....
आप भी इस हलचल में. .....
सादर आमंत्रित है......
अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
https://www.halchalwith5links.blogspot.com
धन्यवाद
असंख्य धन्यवाद आदरणीय मित्र - - नमन सह।
जवाब देंहटाएंआदरणीय सर ,
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविता। प्रकृति के विविध रूप रंग के बहुत ही सुंदर झलक साथ ही साथ यह प्रेरणादायक संदेश की प्रकृति के इन तत्वों की तरह ही मनुष्य के भीतर की अच्छाई और निर्मलता हर बढ़ा पर करके भी हर जगह फ़ैल सकती है।
असंख्य धन्यवाद - - नमन सह।
हटाएंवाह!!!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर लाजवाब सृजन।
असंख्य धन्यवाद - - नमन सह।
हटाएं