बड़ी ख्वाहिस से हमने अक़ीदत क़बूल किया सभी के सामने
कुछ तो भरम रहने दो ख़ुदा का,कुछ तो बंदगी मुश्किल हो,
आसां नहीं इतना कि हम भुला दें हर शै को तुम्हारी ख़ातिर
इतना क्यों मौसम ने रंग बिखेरा कि अब सादगी मुश्किल हो,
इस क़दर न चाहो मुझे कि टूटने का खौफ़ रहे साया बनकर
नज़दीकियाँ न बने जंज़ीर , न मासूम आवारगी हो मुश्किल,
ये निगाहों का हिसाब है बहुत गहरा, जी अक्सर घबरा जाये
दिल चाहे क़ायनात से ज़ियादा,न कहीं अदायगी मुश्किल हो,
--- शांतनु सान्याल
ला-जवाब" जबर्दस्त!!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद संजय जी - नमन सह /
जवाब देंहटाएं