लूका छुपी ही था ग़म ओ ख़ुशी के
दरमियां, नाहक कोसते
रहे हम तक़दीर
को, हर
एक चीज़ के हैं दो पहलू, रौशनी -
की दूसरी तरफ़ रहता है
हमेशा की तरह
वजूद ए
अंधेरा, बेवजह पढ़ते रहे हम यूँ -
ही हथेली के तहरीर को,
क़ुदरत का
अपना
ही है दस्तूर, बदलना जिसे नहीं -
आसां, बहोत कोशिश की
दिलों को जीतने के
लिए, लेकिन
नाकाम
रहे हम हर दफ़ा, समझ न पाए -
कभी हम पोशीदा उस
तदबीर को, नाहक
कोसते रहे
हम
ताउम्र यूँ ही तक़दीर को - - - - -
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.in/
Lloyd Glover Paintings
दरमियां, नाहक कोसते
रहे हम तक़दीर
को, हर
एक चीज़ के हैं दो पहलू, रौशनी -
की दूसरी तरफ़ रहता है
हमेशा की तरह
वजूद ए
अंधेरा, बेवजह पढ़ते रहे हम यूँ -
ही हथेली के तहरीर को,
क़ुदरत का
अपना
ही है दस्तूर, बदलना जिसे नहीं -
आसां, बहोत कोशिश की
दिलों को जीतने के
लिए, लेकिन
नाकाम
रहे हम हर दफ़ा, समझ न पाए -
कभी हम पोशीदा उस
तदबीर को, नाहक
कोसते रहे
हम
ताउम्र यूँ ही तक़दीर को - - - - -
* *
- शांतनु सान्याल
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