अंततः तमाम रास्ते पहुँचते हैं वहीँ
जहाँ से होता है जीवन का
उद्भव, अंकुरण और
बिखराव के
मध्य,
कहीं न कहीं हम जुड़े रहे सुरभित -
समीर के संग, अदृश्य प्रणय
बंध में एकाकार, वो
सूत्रधार कोई
और न
था नियति के सिवाय, जो रहा हर
पल नेपथ्य में मूक दर्शक बन,
समय का अपना ही है
आकलन, बहुत
कठिन है
हल करना, धुप - छाँव का ये गहन
समीकरण - -
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.in/
the most beautiful painting ever
जहाँ से होता है जीवन का
उद्भव, अंकुरण और
बिखराव के
मध्य,
कहीं न कहीं हम जुड़े रहे सुरभित -
समीर के संग, अदृश्य प्रणय
बंध में एकाकार, वो
सूत्रधार कोई
और न
था नियति के सिवाय, जो रहा हर
पल नेपथ्य में मूक दर्शक बन,
समय का अपना ही है
आकलन, बहुत
कठिन है
हल करना, धुप - छाँव का ये गहन
समीकरण - -
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.in/
the most beautiful painting ever
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस' प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (18-05-2014) को "पंक में खिला कमल" (चर्चा मंच-1615) (चर्चा मंच-1614) पर भी होगी!
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
वाह. बहुत सुन्दर रचना.
जवाब देंहटाएंअसंख्य धन्यवाद मान्यनीय मित्रों - - नमन सह
जवाब देंहटाएं