22 नवंबर, 2020

उड़ान से पहले - -

वही बिंदु बिंदु जीवन यापन, ईहकाल
और परकाल के मध्य, मानव
खोजता है, अलादीन का
चिराग़, एक छोटा
रास्ता, किन्तु
प्रारब्ध -
अपनी जगह है अडिग, खोलता है वो
दक्षिणी खिड़की और कहता है -
दिगंत तक पहुँचना है
अगर, तो पंख
उगाओ,
सिर्फ़
स्वप्न देखने से कोई उड़ नहीं सकता,
शून्य से ही सृष्टि का है उत्स,
प्रच्छद के आड़ में तुम
नहीं पा सकते
जीवन
का
सारांश, जानने के लिए ज़रूरी है उसी
में डूब जाओ, आईना बदल देने
से चेहरा बदल नहीं सकता,
जो है सो है, श्वेत रक्त
कणिका के दाग़
हैं अपनी
जगह,
अक्स को कोसने से क्या फ़ायदा - -
समय अक्सर मुझ से कहता
है - तुम्हारा मुख क्यों
है इतना लहर
विहीन, ग़र
उड़ना
है
तो उड़ जाओ यहाँ कोई किसी की - -
परवाह नहीं करता, उड़ने से
पहले, अपना पता छोड़
जाना - -  

* *
- - शांतनु सान्याल

 





11 टिप्‍पणियां:

  1. वाह अद्भुत शांतनु जी, जीवन
    का
    सारांश, जानने के लिए ज़रूरी है उसी
    में डूब जाओ..वाह

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  2. प्रारब्ध -
    अपनी जगह है अडिग, खोलता है वो
    दक्षिणी खिड़की और कहता है -..वाह!सराहनीय सर बहुत कुछ कह गए कुछ शब्दों में ..।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. गहन भाव, शानदार शब्द संयोजन,
    बहुत सुंदर सृजन।
    स्वप्न देखने से कोई उड़ नहीं सकता,
    शून्य से ही सृष्टि का है उत्स,
    प्रच्छद के आड़ में तुम
    नहीं पा सकते
    जीवन
    का__अद्भुत अभिनव।

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