कितना भी चीत्कार करो, ख़ुद को
निर्दोष प्रमाण करना, हर
वक़्त सहज नहीं,
कभी कभी
मौन
हो
जाना चाहिए, सिर्फ़ रिश्ता तोड़ना
ही मोहभंग नहीं, साथ रह
कर भी लोग, बड़ी
ख़ूबसूरती से
दूरत्व
को
निभा जाते हैं, कभी कभी ख़ुद के
नज़दीक हमें आ जाना
चाहिए। मेरा दर्द
ओ ग़म, सिर्फ़
मुझ तक
रहे
सिमित, ज़माने के लिए तो बस
ये एक कहानी है, दोषमुक्त
यहाँ कोई नहीं, परिपूर्ण
प्रेम की कथा केवल
किताबों की
ज़बानी
है,
यहाँ कोई किसी को नहीं सजाता,
ये जीने की विधा ख़ुद के
अंदर से बाहर आना
चाहिए। मैंने देखा
है इसी दुनिया
के मंच
पर
अपनों का अट्टहास, सीढ़ियों से -
नेपथ्य से जब कभी उतरा
विदूषक, उसकी आँखों
में थी नमी और
चेहरे पर
डूबने
का
अहसास, कोई किसी के लिए नहीं
सोचता, वक़्त रहते ख़्वाबों
से उभर जाना चाहिए,
अवसाद का सफ़र
न ले जाए
अंध
गुफाओं में कहीं, अंधकार घिरने से
पहले उजाले में कहीं ठहर
जाना चाहिए, कभी -
कभी, थोड़ा सा
मौन हो -
जाना
चाहिए - -
* *
- - शांतनु सान्याल
25 नवंबर, 2020
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सुन्दर सृजन।
जवाब देंहटाएंतहे दिल से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" गुरुवार 26 नवंबर नवंबर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंतहे दिल से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंसार्थक और सुन्दर।
जवाब देंहटाएंवर्ण पिरामिड के फेर में रचना
गद्य जैसा आनन्द दे रही है।
तहे दिल से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंवाह!बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंतहे दिल से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंकभी -
जवाब देंहटाएंकभी, थोड़ा सा
मौन हो -
जाना
चाहिए - -वाह! सुंदर संदेश।
तहे दिल से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंतहे दिल से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंतहे दिल से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंअवसाद का सफ़र
जवाब देंहटाएंन ले जाए
अंध
गुफाओं में कहीं, अंधकार घिरने से
पहले उजाले में कहीं ठहर
जाना चाहिए, कभी -
कभी, थोड़ा सा
मौन हो -
जाना
चाहिए - -
सही कहा साथ रहकर भी बड़ी खूबसूरती से दूरियाँ निभाना..
बहुत सुन्दर सार्थक एवं चिन्तनपरक सृजन।
तहे दिल से शुक्रिया - - नमन सह।
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