17 सितंबर, 2020

मायावी बाजू बंध - -

वो कोई रतजगा पखेरू दरख़्तों
में गुमशुदा नीड़ खोजे, कभी
सूखे पत्तों की अंधगली में,
कभी सीने की कोठरी
में, उजालों की
भीड़ खोजे ।
तुम्हारा
घर
है कहीं आकाश के छुअन में, वो
बबूल के नीचे जल स्रोत खोजे,
तुम्हारे पास है गोधूलि का
रंगीन जुलूस, झिलमिल
सांध्य तारा, आलोक
विहीन पथ में
वो आज
भी
भोर की कच्ची ज्योत खोजे,
वो बबूल के नीचे जल स्रोत
खोजे । तुम्हारे जलसा -
घर में जल उठे हैं
रंगीन साँझ
बाती,
वो आज भी भीनी भीनी - -
मोगरे का गंध खोजे,
अगर, ऊद, चंदन
की चिता
जल
कर राख हुई कब से, वो - -
भूलने के लिए अब
भी तिलिस्मी
कोई बाजू -
बंध
खोजे - -
* *
- - शांतनु सान्याल







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