08 सितंबर, 2020

अवरुद्ध सांसों का हिसाब - -

आपके हाथों में है सब कुछ, झूठ
को सच लिखवा लें, और
सच को कूड़ेदान में
डलवा दें, लोग
कहते थे
कि
क़लम की नोक सारे सल्तनत को
को बदल सकती है, अब न
वो नोक वाले रहे न वो
आग उगलती
तहरीर
ही
रही, बस कुछ रहा है तो बेबस की
ख़ाली तक़दीर ही रही, लिख
जाइए जो भी चाहें
हाकिम भी
आप हैं
और
मुहर्रिर, आप से बेहतर कोई नहीं,
पहले लोग अपनी नज़र से
देखते थे, अब न वो
नज़र वाले ही
रहे, न
उनका नज़रिया ही रहा बाक़ी, -
अब तो लोग अपने हाथों
में मुहर का बक्सा
लिए फिरते हैं,
ज़रा सी
चूक
क्या हुई माथे पर ताउम्र के लिए
वो स्टाम्प लगा गए, जब
झुर्रियों से माथे के
निशान ढक
गए, तब
जा के
पता चला कि वो शख़्स बेगुनाह -
था, उस में मुझ से ज़्यादा
कहीं देशप्रेम अथाह था,
वो शख़्स बेगुनाह
था - - -
* *
- - शांतनु सान्याल

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