06 सितंबर, 2020

आईने से कथोपकथन - -

सीढ़ियों की कमी नहीं, बाँध आओ
सिंह द्वार में तोरण, लेकिन
याद रहे तुम्हें उतरना है
इसी ज़मीन पर,
और ये
ज़मीन है काँटों से भरी, सीढ़ियों की
कमी नहीं, चढ़ जाओ ऊपर
जहाँ तक हो तुम्हारी
मर्ज़ी, किन्तु
उतरते
वक़्त अधःपतन का ख़तरा रहता है
बराबर, अभिजीत हो या कोई
अभिषेक करने वाला,
अवरोहण के
क्षणों में
फिसलन का ख़तरा रहता है बराबर,
मैं बदलता हूँ हर पल शल्क
अपना, लेकिन देख कर
तल की गहराई,
उथले पानी
में तो
लाज बिंदुओं का डूबना संभव नहीं,
इसके सिवाय, बहु आयामी,
नैन दर्पण का ख़तरा
रहता है बराबर,
सीढ़ियों की
कोई
कमी नहीं, लेकिन डूब के सतह पर
उभरना है ज़रूरी, आकाशमुखी
हो या सजल अंधकार की
दुनिया, हर हाल में
फिसल के
पुनः
संभलना है ज़रूरी, डूब के सतह पर
उभरना है ज़रूरी - -

* *
- - शांतनु सान्याल



6 टिप्‍पणियां:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (8-9 -2020 ) को "ॐ भूर्भुवः स्वः" (चर्चा अंक 3818) पर भी होगी,आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    ---
    कामिनी सिन्हा

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