12 सितंबर, 2020

गुमशुदा परिचय पत्र - -

सुबह की नाज़ुक धूप निःशब्द
पाँव, वादियों से उतर कर
शहरी कोलाहल में खो
गई, बहुत लोग
भीड़ में यूँ
ही खो
जाते हैं,कोई उनका हिसाब नहीं
रखता, कोई उन्हें तलाश भी
नहीं करता, उत्तरोत्तर
वो अपने आप ही
सभी से ख़ारिज
हो जाते हैं,
अपना
परिचय भूल जाते हैं, ग़र -  
लौटना भी चाहें तो उन्हें
कोई नहीं अपनाता,
दरअसल अब
उनका कोई
अस्तित्व
नहीं, उनके पास आत्मीयता -  
का सठिक रशीद नहीं, अब
वो विक्रित चीज़ से
अधिक कुछ
भी नहीं,
अतः
अब कोई उन्हें वापस नहीं लेगा,
वो आजन्म निर्वासित हैं,
अपने आप ही जन्म
से अभिशापित
हैं - -
* *
- - शांतनु सान्याल

   

6 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 13 सितंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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