29 सितंबर, 2020

आगामी दिन - -

कुछ दर्द रहते हैं उम्र भर, रेशमी कोषों
में बंद, ईशान कोणीय मेघों में
कहीं दफ़न बूंदों के ख़्वाब,
कुछ रिश्ते रहते हैं
गुम, गोधूलि
आकाश
में
तैरते हुए वर्णिल नक़ाब, खोजते हैं उन
विलीन चेहरे को, पंख विहीन भीगे
मेरे ख़्वाब, कभी कभी चुभने
वाला आलपिन, बना
जाता है शेष पथ
रंगीन, टूटी
चप्पल
सीखा जाती है बहुत कुछ ज़िन्दगी का
हिसाब, उतरती धूप दीवारों में
लिख जाती है कहीं रात
का पता, टिटहरी
की आवाज़
ले
जाती है मेघरंग, बंद लिफ़ाफ़ा, शायद
आख़री पहर से पहले, बारिश के
हमराह आ जाए कोई जवाब,
आगामी दिन तक
ख़्वाबों का ज़िंदा
रहना है
ज़रूरी,
हम रहें, या न रहें, हमें यक़ीं है ज़रूर
इक दिन आएगा दुआओं
वाला इन्क़लाब,
हर शख़्स
को
मिलेगी अपने हिस्से की रोशनी, हर -
चेहरे में होगा रंगत ए गुलाब।  
* *
- - शांतनु सान्याल

 
 

 


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