09 सितंबर, 2020

बेताज बादशाह - -

हस्तिनापुर हो या मुम्बई, वही
कुरुवंशियों की है बिसात,
अदृश्य चक्र में घूमता
है जीवन, किन्तु
अब नहीं होते
भालों से
बचाने
वाले हाथ । आँखों में पट्टियां -
अब लोग, जानबुझ के
बांधते हैं, एक नहीं
सहस्त्रों गांधारी
हैं आज
उभय -
लिंगी, धृतराष्ट्र की बात आँख
मूंद के मानते हैं । गंगा -
पुत्र हमेशा की तरह
हर युग में मौनी
बाबा ही रहे,
दरअसल
जिनके
आगे पीछे कुछ नहीं होता, वही
सब से पहले अदृश्य पाशा
फेंकता है,उसे खोना
तो कुछ नहीं
होता,
इसलिए वो हर हाल में ख़ामोश
रहता है, वही बिन मुकुट
का राजा होता है - -
* *
- - शांतनु सान्याल









 

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