17 सितंबर, 2020

शून्य करतल - -

यहाँ सब कुछ है हासिल, विनिमय
में चाहे ले लो ख्वाबों की ज़मीं,
हथेलियों में हिम नद का
विगलन, सीने में
सदियों का
तपन,
लेकिन कोई नहीं देखेगा तुम्हारी -  
आँख का डूबता साहिल, यहाँ
सब कुछ है हासिल, हर
एहसास पे है यहाँ
विक्रय मुहर,
बहुत
मुश्किल है यहाँ निःशर्त सफ़र - -
बस आख़िर में तुम हो, कुछ
कुम्हलाए लम्हात, और
निःशब्द, घूरता सा
आदमक़द
आईना
है
तुम्हारे मुक़ाबिल, यहाँ सब कुछ
है हासिल, कभी जो क्लिप
लगाना भूल गए, तो
देखा उम्मीद की
डोरी से सभी
ख़्वाब
उड़ गए, सुदूर आकाश पथ में, -
कटी पतंग के साथ, हम भी
हो लिए शामिल, कहने
को यहाँ सब कुछ
है हासिल।
* *
- - शांतनु सान्याल
 
 
 
 

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