चाहे जितनी बार पाल उतारे जाएँ,
जीवन के मस्तूल हवाओं के
संग, मेल - जोल रखना
जानते हैं, ज्वार -
भाटों का
ग्राफ
कभी नहीं थमता, सितारे हर हाल
में वादों का मोल रखना जानते
हैं, वो चाहे जितनी बार मुझे
सूली पर चढ़ा आएं, मेरा
प्रारब्ध मुझे मरने
नहीं देगा, वो
हाथ की
लकीरों में पुनर्जन्म का रहस्यमय
घोल रखना जानते हैं, वो सभी
मुलायम साबुन जो सिर्फ़
झाग के सिवा कुछ
नहीं दे सकते,
उनसे
बचने के लिए मेरी चाहतें देश की -
माटी अनमोल रखना जानते
हैं, मुझे मालूम है उनकी
मायावी व्यूह रचना,
मेरे हृद पिंड
अभेद्य
खोल रखना जानते हैं, जीवन के -
मस्तूल, हवाओं के संग, मेल -
जोल रखना जानते हैं,
* *
- - शांतनु सान्याल
07 अक्तूबर, 2020
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जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
असंख्य धन्यवाद - - नमन सह।
हटाएंबहुत मार्मिक और सामयिक प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंअसंख्य धन्यवाद - - नमन सह।
हटाएंसुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंअसंख्य धन्यवाद - - नमन सह।
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