वेदनाओं के परत, बंद पलकों में
भस्मीभूत हैं अंजन की तरह,
उस अंधकार कोठरी में
ज़िन्दगी को मिलते
हैं, कुछ पल
जीने के
लिए,
वो कोई सान्त्वना है या वन्य - -
सम्मोहन, कुछ भी नाम
दे दो, लेकिन उसे
झुठलाना भी
आसान
नहीं,
कुछ पल अप्रत्याशित होते हैं, - -
अवर्णित सृजन की तरह।
उस विजनप्रदेश में
हैं, सिर्फ़ कांटे -
दार विष -
लता,
उस मरुद्यान की खोज में लोग
अक्सर भूल जाते हैं, अपने
घर का पता, फिर भी
हम पालते हैं बड़ी
ही जतन से
अंतर्मन
में
मृगतृषा, तर्क ले जाता है हमें - -
बहुत दूर, लेकिन श्रद्धा
खोज ही लेती है हर
हाल में भूमिगत
जल स्रोत !
* *
- - शांतनु सान्याल
18 अक्तूबर, 2020
भूमिगत जल स्रोत - -
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बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंगहन अर्थ लिए हुए
हार्दिक आभार - - नमन सह । शारदीय नवरात्रि की शुभकामनाएं.
हटाएंसुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार - - नमन सह । शारदीय नवरात्रि की शुभकामनाएं.
हटाएंहार्दिक आभार - - नमन सह ।
जवाब देंहटाएंअमृत भाव । आभार ।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार - - नमन सह । शारदीय नवरात्रि की शुभकामनाएं.
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