ज़रा सी बात थी इशारों से कहा होता
हजूम सा था हद-ए-नज़र तमाशाई,
हम डूब के गुज़रते जानिब-ए-साहिल
राज़-ए-उल्फत किनारों से कहा होता,
तमाम रात चांदनी सुलगती रही
इज़हार-ए-वफ़ा आबसारों से कहा होता,
गुमसुम सा आसमाँ तनहा तनहा,
तड़प दिल की चाँद तारों से कहा होता,
हवाओं में तैरती तहरीर-ए-इश्क
आँखों की बातें बहारों से कहा होता,
हम जान लुटाए बैठे हैं
इम्तहान-ए-अज़ल अंगारों से कहा होता |
-- शांतनु सान्याल
जरा सी बात है, पर क्या बात है ! अप्रतिम
जवाब देंहटाएं