लौटने की प्रक्रिया अनवरत रहती है गतिमान,
डूब जाते हैं सभी कुछ ग्रह नक्षत्र या अभिमान,
लौटते वक़्त सूर्य, छोड़ जाता है कुछ स्मृतियां,
रंगीन मेघों के मध्य, शुक्रतारा का अभ्युत्थान,
आंगन के घेरों से उठती हैं बेला फूल की महक,
साँझ बाती भर जाते हैं, जीवन के रिक्त स्थान,
लौट आते हैं बूढ़े बरगद के सभी मूल अधिवासी,
होता नहीं कभी, जीवन यापन का पूर्ण अवसान,
उभर आते हैं, गहन नील में सहस्त्र तारक वृन्द,
सुदूर अरण्य में आलोकमय जुगनू करते हैं गान,
लौट आते हैं उजान देश से सभी मयूर पंखी नाव,
नींद में कुछ कहती है, शिशु की मधुरिम मुस्कान,
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- - शांतनु सान्याल
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