पूछा जो भीगे आंखों का राज़ तो मुस्कुरा दिए, इसी बहाने बुझते हुए चिराग़ हम ने जला लिए,
कोई न था दूर तक, आख़िर आवाज़ किसे देते,
तारों को ही अपना, रहनुमा ए सफ़र बना लिए,
कुछ ख़ामोश दर्द उम्र भर रहते हैं, शब्द विहीन,
बड़ी ख़ूबसूरती से हम ने, तमाम ग़म छुपा लिए,
इस मोड़ पर आ कर सभी रहगुज़र खो जाते हैं,
इसी बियाबां पर आ कर, घर अपना सजा लिए,
कुछ भी नहीं संचय, एक मुहोब्बत के अतिरिक्त,
पूछा जो हालात तो उजड़ा हुआ दिल दिखा दिए,
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- - शांतनु सान्याल
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