30 अप्रैल, 2023

पुरनम आंखों का राज़ - -


पूछा जो भीगे आंखों का राज़ तो मुस्कुरा दिए,

इसी बहाने बुझते हुए चिराग़ हम ने जला लिए,

कोई न था दूर तक, आख़िर आवाज़ किसे देते,
तारों को ही अपना, रहनुमा ए सफ़र बना लिए,

कुछ ख़ामोश दर्द उम्र भर रहते हैं, शब्द विहीन,
बड़ी ख़ूबसूरती से हम ने, तमाम ग़म छुपा लिए,

इस मोड़ पर आ कर सभी रहगुज़र खो जाते हैं,
इसी बियाबां पर आ कर, घर अपना सजा लिए,

कुछ भी नहीं संचय, एक मुहोब्बत के अतिरिक्त,
पूछा जो हालात तो उजड़ा हुआ दिल दिखा दिए,
* *
- - शांतनु सान्याल

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