01 मई, 2023

सूर्यास्त के पश्चात - -

कहने को सभी दूर से पास होते हैं,
सूर्यास्त के बाद निर्माणाधीन
इमारत के नीचे बहुत
अकेला होता है
मजदूर,
अपने ख़ून पसीने से जो करता है
किसी और का सपना साकार,
गृह प्रवेश के दिन कोई
नहीं रखता उन्हें
याद, ईंटों के
सतह पर
दफ़्न
रह जाते हैं उसके उंगलियों के - -
निशान, चलता रहता है
जन्म जन्मांतर
तक वही
चिर
परिचित सामंतवादी अभियान, राज
पाट बदलते रहते हैं, मजदूर का
बेटा निकल ही नहीं पाता
छेनी हथौड़े से बाहर,
अपने पिता के
वसीयत से
वो होता
है उम्र भर मजबूर, सूर्यास्त के बाद
निर्माणाधीन इमारत के नीचे
बहुत अकेला होता है
मजदूर।
* *
- - शांतनु सान्याल 

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