13 मई, 2023

ख़ामोश साहिल - -

उनकी तहक़ीक़ क्या करें जब अपना ही कोई सुराग़ नहीं,
हर कोई दहकना चाहे लेकिन दिलों में अब वो आग नहीं,

इस दौर के नाज़िम पे यक़ीं करना, ख़ुदकुशी से कम नहीं,
ज़मीं ए वादे पे चल के है देखा दूर तक कोई भी बाग़ नहीं,

बाज़ार ए जहान का कारोबार चलता है आमद ओ सूद पे,
लोग चोट पहुंचाते हैं अंदर तक, बस ऊपर कोई दाग़ नहीं,

शहद में डूबी ज़ुबान का असर, रूह तक कर जाए मदहोश,
साहिल बिखरे तमाम रात सुबह हद ए नज़र कोई झाग नहीं,

* *

- - शांतनु सान्याल


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