फिर तेरा अंदाज़ ए ख़ुदा हाफ़िज़, फिर
मेरा क़तरा क़तरा बिखर जाना,
फिर तेरी नज़रों में उस
मोड़ की रौशनी
फिर शौक़
ए सैलाब का धीरे धीरे उतर जाना, इस
किनाराकशी में हैं न जाने ख़म
कितने, कभी डूबता संग
ए साहिल ये ज़िन्दगी,
कभी तेरी आँखों
में, मेरे
अक्स का यूँ ही अचानक उभर आना, -
इक अजीब सी है कशिश तेरी
चाहत में ऐ हमनशीं, कभी
जज़्बा ए क़यामत !
कभी मेरी
तक़दीर का, तेरी हथेलियों में मेहँदी - -
की तरह संवर जाना, फिर तेरा
अंदाज़ ए ख़ुदा हाफ़िज़,
फिर मेरा क़तरा
क़तरा बिखर
जाना - -
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
Chinese Artists, Abstract Paintings,
मेरा क़तरा क़तरा बिखर जाना,
फिर तेरी नज़रों में उस
मोड़ की रौशनी
फिर शौक़
ए सैलाब का धीरे धीरे उतर जाना, इस
किनाराकशी में हैं न जाने ख़म
कितने, कभी डूबता संग
ए साहिल ये ज़िन्दगी,
कभी तेरी आँखों
में, मेरे
अक्स का यूँ ही अचानक उभर आना, -
इक अजीब सी है कशिश तेरी
चाहत में ऐ हमनशीं, कभी
जज़्बा ए क़यामत !
कभी मेरी
तक़दीर का, तेरी हथेलियों में मेहँदी - -
की तरह संवर जाना, फिर तेरा
अंदाज़ ए ख़ुदा हाफ़िज़,
फिर मेरा क़तरा
क़तरा बिखर
जाना - -
* *
- शांतनु सान्याल
http://sanyalsduniya2.blogspot.com/
Chinese Artists, Abstract Paintings,
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 04 मई 2023 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
उम्दा भाव
जवाब देंहटाएंवाह
जवाब देंहटाएंआपका हृदय तल से आभार ।
हटाएं