14 मई, 2023

विदूषक - -

पोषित सभी इच्छाएं कांच के दरवाज़े से टकरा 
कर, दुर्योधन की तरह बन जाते हैं जोकर,
वस्तुतः हम सभी पृथ्वी के पृष्ठों पर
अस्थायी तौर पर लिखे गए नाम
हैं जो समय के संग क्रमशः
मिटा दिए जाएंगे, फिर
भी हम नियति से
हर एक मोड़
पर लेते हैं
टक्कर,
अंततः दुर्योधन की तरह बन जाते हैं जोकर |
निदाघ अहंकार जीवन की उर्वरता को 
करती है नष्ट, विशाल व्यक्तित्व 
बौना होता जाता है, समय का 
दर्पण बिम्ब प्रसारित नहीं
करता, ठूँठ की तरह 
हम बेजान से 
खड़े रहते हैं 
जलाशय 
के मध्य 
एकाकी स्वप्न विहीन, उतरोत्तर बन जाते
हैं अपरिचित सभी के बीच रह कर,
अंततः दुर्योधन की तरह बन 
जाते हैं जोकर |
- - शांतनु सान्याल




4 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 16 मई 2023 को साझा की गयी है
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. निदाघ अहंकार जीवन की उर्वरता को
    करती है नष्ट, विशाल व्यक्तित्व
    बौना होता जाता है,
    बहुत सुन्दर ।

    जवाब देंहटाएं

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