04 मई, 2023

अन्तःस्थल में कहीं

हर एक शख़्स के अंदर छुपा होता है
किसी न किसी रूप में ययाति,
अभिलाष की मृगतृष्णा
अधिक बढ़ जाती है
जलते ही सांध्य
बाती,

मसृण पंखों के संग उभर आते हैं -
अगुणित मायावी शलभों के
झुण्ड, मध्य रात के बाद
सदियों की प्यास भी
रहस्यमय रूप में
है गहराती,

मखमली कोशों में बंद होते हैं,
अनगिनत प्रसुप्त स्वप्नों
के अंकुरण, अदृश्य
प्रणयाबद्ध पलों
में खो जाते
हैं, वसुधा
के
सकल प्राणी प्रजाति,

 हर एक -
शख़्स के अंदर छुपा होता
है किसी न किसी
रूप में ययाति।
* *
- - शांतनु सान्याल

6 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर शुक्रवार 05 मई 2023 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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  2. हर एक -
    शख़्स के अंदर छुपा होता
    है किसी न किसी
    रूप में ययाति।
    हर एक तो नहीं पर हाँ बहुत से लोगों में छुपे होंगे ययाति ।
    सुन्दर सृजन ।

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  3. सही कहा आपने बहुत सुंदर सृजन।

    जवाब देंहटाएं

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