किसी न किसी रूप में ययाति,
अभिलाष की मृगतृष्णा
अधिक बढ़ जाती है
जलते ही सांध्य
बाती,
मसृण पंखों के संग उभर आते हैं -
अगुणित मायावी शलभों के
झुण्ड, मध्य रात के बाद
सदियों की प्यास भी
रहस्यमय रूप में
है गहराती,
मखमली कोशों में बंद होते हैं,
अनगिनत प्रसुप्त स्वप्नों
के अंकुरण, अदृश्य
प्रणयाबद्ध पलों
में खो जाते
हैं, वसुधा
के
सकल प्राणी प्रजाति,
हर एक -
शख़्स के अंदर छुपा होता
है किसी न किसी
रूप में ययाति।
* *
- - शांतनु सान्याल
शख़्स के अंदर छुपा होता
है किसी न किसी
रूप में ययाति।
* *
- - शांतनु सान्याल
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर शुक्रवार 05 मई 2023 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
आपका हृदय तल से आभार ।
हटाएंहर एक -
जवाब देंहटाएंशख़्स के अंदर छुपा होता
है किसी न किसी
रूप में ययाति।
हर एक तो नहीं पर हाँ बहुत से लोगों में छुपे होंगे ययाति ।
सुन्दर सृजन ।
आपका हृदय तल से आभार ।
हटाएंसही कहा आपने बहुत सुंदर सृजन।
जवाब देंहटाएंआपका हृदय तल से आभार ।
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