05 मई, 2023

नुक़्ता ए नज़र - -

लोगों का पैमाना जो भी हो
ज़िन्दगी की सच्चाई
कम नहीं होगी,
हर शख़्स
ज़ेर
पैरहन नग्न होता है ये बात
उन्हें हज़म नहीं
होगी।

हर किसी के आँखों में होता
है एक विशाल रेगिस्तान
की पिपासा, कभी
ख़त्म नहीं
होती,
ज़िन्दगी भर, अधिकाधिक
पाने की आशा।

लिबास से ज़रूरी नहीं कि,
आदमी का ताल्लुक़ है
आला ख़ानदानी,
बाहरी परतों
में है रंग

रोगन अंदर की दीवारें
सिर्फ़ ख़र्च
ज़ुबानी।

चेहरे और मुखौटे के
दरमियान है,
इक हलकी
सी
शिनाख़्ती लकीर, उफनती
लहरें अक्सर फेंक
आती हैं, सभी
बेकार चीज़ें
समंदर
तीर।
* *
- - शांतनु सान्याल

 

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