16 मई, 2023

वाहिद शख़्स - -

हर किसी को चाहिए इक शख़्स जो आइने
की तरह कहे - ज़रा ख़ुद को संवार लो,
ज़िन्दगी का हासिल सिर्फ अपने
तक महदूद नहीं, कोई तो
हो ऐसा साथी जो
मुस्कुरा के
कहे -
कुछ खुशियां मुझ से उधार लो, दहलीज़ के
पार हर किसी को निकलना ही पड़ता
है, फिर भी इक इंतज़ार तो रहे
ज़िंदा किसी के दिल में,
निःशब्द आँखों से
कोई तो कहे -
रात घिरने
से पहले
लौट आना, इस ठिकाने को अपने सीने पर
अच्छे से उतार लो, हर किसी को चाहिए
इक शख़्स जो आइने की तरह कहे -
ज़रा ख़ुद को संवार लो| हर एक
को चाहिए कोई न कोई ऐसा
शख़्स, जो कहे - ज़रा
संभल के रास्ता
पार किया
करो,
कितने बेतरतीब से लोग गाड़ियां चलाया - -
करते हैं, चलते वक़्त सिर्फ़ फुटपाथ का
किनार लो, हर किसी को चाहिए इक
शख़्स जो आइने की तरह कहे -
ज़रा ख़ुद को संवार लो |
* *
- - शांतनु सान्याल

 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अतीत के पृष्ठों से - - Pages from Past