01 अप्रैल, 2023

अनदेखा फ़ासला - -

पल की ख़बर नहीं, और वो करते 
हैं अंतहीन वादा, कैसे कोई 
समझाए उन्हें, कि है 
इक लम्बा सा 
अनदेखा 
फ़ासला, ख़ुश्क ओंठ और जाम के 
दरमियां, बेहतर है, न करें 
ख़्वाहिश ज़रुरत से 
कहीं ज़ियादा, 
चेहरे से 
दिल की गहराई होती है ख़ुद  ब 
ख़ुद बयां, कोई चाहे जितना 
भी छुपाए अपना 
इरादा, हर 
तरफ़ 
बिछी हैं खुली शतरंज की बिसात,
कहीं जीत है तो कहीं मात,
हर दौर में लेकिन 
पहले मरता 
है ग़रीब 
प्यादा,
पल की ख़बर नहीं, और वो करते 
हैं अंतहीन वादा - - 
* * 
- शांतनु सान्याल

2 टिप्‍पणियां:

  1. नमस्ते.....
    आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
    आप की ये रचना लिंक की गयी है......
    दिनांक 03/04/2023 को.......
    पांच लिंकों का आनंद पर....
    आप भी अवश्य पधारें....

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