न मिलो इस तरह कि मिल के दूरियां और बढ जाए
तिश्नगी रहे ज़रा बाक़ी और दर्द भी असर कर जाए,
वो खेलते हैं दिलों से नफ़ासत और यूँ सम्भल कर,
शीशे ग़र टूटे ग़म नहीं, रिसते घाव मगर भर जाए,
अज़ाब ओ दुआ में फ़र्क़ करना नहीं था इतना आसां,
लूट कर दुनिया मेरी उसने कहा किस्मत संवर जाए,
साहिल कि ज़मीं थी रेतीली, पाँव रखना था मुश्किल,
उनको शायद खौफ़ था, कहीं ज़िन्दगी न उभर जाए,
डूबते सूरज को इल्म न था, समन्दर की वो गहराई,
तमाम रात ख़ुद से उलझा रहा, जाए तो किधर जाए,
उनकी आँखों में कहीं बसते हैं जुगनुओं के ज़जीरे,
उम्मीद में बैठे हैं ज़ुल्मात, कि उजाले कभी घर आए,
-- शांतनु सान्याल
अर्थ :
तिश्नगी - प्यास
नफ़ासत - सफाई से
अज़ाब - अभिशाप
ज़जीरे - द्वीप
ज़ुल्मात - अँधेरे
तिश्नगी रहे ज़रा बाक़ी और दर्द भी असर कर जाए,
वो खेलते हैं दिलों से नफ़ासत और यूँ सम्भल कर,
शीशे ग़र टूटे ग़म नहीं, रिसते घाव मगर भर जाए,
अज़ाब ओ दुआ में फ़र्क़ करना नहीं था इतना आसां,
लूट कर दुनिया मेरी उसने कहा किस्मत संवर जाए,
साहिल कि ज़मीं थी रेतीली, पाँव रखना था मुश्किल,
उनको शायद खौफ़ था, कहीं ज़िन्दगी न उभर जाए,
डूबते सूरज को इल्म न था, समन्दर की वो गहराई,
तमाम रात ख़ुद से उलझा रहा, जाए तो किधर जाए,
उनकी आँखों में कहीं बसते हैं जुगनुओं के ज़जीरे,
उम्मीद में बैठे हैं ज़ुल्मात, कि उजाले कभी घर आए,
-- शांतनु सान्याल
अर्थ :
तिश्नगी - प्यास
नफ़ासत - सफाई से
अज़ाब - अभिशाप
ज़जीरे - द्वीप
ज़ुल्मात - अँधेरे
... प्रशंसनीय रचना - बधाई
जवाब देंहटाएंवाह ...बहुत खूब ।
जवाब देंहटाएंअज़ाब ओ दुआ में फ़र्क़ करना नहीं था इतना आसां
जवाब देंहटाएंलूट कर दुनिया मेरी उसने कहा किस्मत संवर जाए ...
बेहद खूबसूरत ग़ज़ल !
सभी मित्रों का अंतर्मन से धन्यवाद, यही मेरा पुरस्कार है कि आप लोगों के मन को छू सका, नमन सह
जवाब देंहटाएंउनकी आँखों में कहीं बसते हैं जुगनुओं के ज़जीरे
जवाब देंहटाएंउम्मीद में बैठे हैं ज़ुल्मात, कि उजाले कभी घर आए
बहुत उम्दा गज़ल...
तहे दिल से शुक्रिया शर्मा जी - नमन सह
जवाब देंहटाएंखूबसूरत ग़ज़ल...
जवाब देंहटाएंडूबते सूरज को इल्म न था, समन्दर की वो गहराई
जवाब देंहटाएंतमाम रात ख़ुद से उलझा रहा, जाए तो किधर जाए
गज़ब का शेर है शांतनु जी ... गज़ल भी पूरी कमाल की है ...
thanks Dr singh ji and digambar ji - naman sah
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