29 अप्रैल, 2023

असमय की बरसात - -

असमय की वृष्टि, निशांत प्रहर में देती है राहत,
अंतरतम से, कोई नहीं करता किसी का स्वागत,

हर किसी के पास होती है, तरजीह की फ़ेहरिश्त,
सभी चाहते हैं, सूद के साथ पाना अपनी लागत,

वो जांनशीन हो कर भी है पुरअसरार कोई रक़ीब,
फिरते हैं सुकून से, लिए अपने आस्तीं में आफ़त,

इक अजीब सी सुगबुगाहट है सागर की सतह पर,
अंदर ही अंदर, कहीं साहिल के विरुद्ध है बग़ावत,
* *
- - शांतनु सान्याल
 

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