13 अप्रैल, 2023

हाल ए दिल अपना - -

न चाह कर भी गुज़रना पड़ता है
ज़िन्दगी इक अंधी सुरंग
सी है, बहुत जल्दी
नियत भी भर
जाएगी,
बाहरी
पैरहन बद रंग सी है,

अंदर की दुनिया कोई नहीं
देखता, चाहे वो कितनी
ख़ूबसूरत हो, चमकीले
उतरन का है
ज़माना
असलियत की गलियां तंग सी है,

कोई भी मुड़ कर नहीं देखता,
ग़र सितारों का सफ़र
गर्दिश में हो, टूटते
गए सभी रंगीन
धागे अपने
आप
क़िस्मत कटी पतंग सी है,

बचना नहीं आसां वक़्त अपना
महसूल हर हाल में करता
है वसूल, सुख दुःख
सब बराबर
आजकल
दिल
की हालत मस्त मलंग सी है |
* *
- - शांतनु सान्याल




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