06 अप्रैल, 2023

ग़ज़ल - - अंदाज़ तेरा दिल दुखाने वाला




फिर वही अंदाज़ तेरा दिल दुखाने वाला
 
हूँ अपनी ही दुनिया में इस क़द्र मशगूल
ख़बर ही नहीं कि है कोई यहाँ आने वाला,

छू के जाती हैं समंदर की नमकीन हवाएं,
है शाम भी खुले ज़ख्मों को दिखाने वाला,

हज़ार कोशिश कर जाए ये भीगी सी रात,
सख्त सहरा की ज़मी, न मुस्कराने वाला,

तेरी चाहत में न जाने वो बात नहीं बाक़ी -
हो जादू या नशा, जिस्मो जां हिलाने वाला,

है मालूम मुझे मौजों पे यूँ नंगे पांव चलना,
चाहिए अब्र में घुलने का फ़न सिखाने वाला,

कोई ख़्वाब जो दे जाए तस्कीं बेक़रां, मुझे
अँधेरे में भी दिल की रौशनी दिखाने वाला,

वो मसीहा या कोई भूला फ़रिश्ता जो भी हो
मिले तो कहीं, टूटे दिलों को मिलाने वाला,

बियाबां में ज़िन्दगी के फूल खिलाने वाला !

- - शांतनु सान्याल



1 टिप्पणी:

अतीत के पृष्ठों से - - Pages from Past