रख जा कोई तो निशानी दिल पे मनफ़र्द
मनफ़र्द - निराली
ख़ुश्बू की तरह, लिखा है जिस्म ओ
जां पर किसी का नाम हमने,
लाज़वाल सुलगती इक
आरज़ू की तरह,
रंग जाए
जो रूह तलक, दे जा कोई हिना ए इब्दी
पुरअसर किसी इल्ही क़ाबू की
तरह, वो तेरी चाहत कम
तो नहीं, किसी मसफ़ा
ज़िन्दगी से, ले
चल फिर
मुझे चाहे जिधर राह ए निजात की - - -
जानिब !
जानिब !
- शांतनु सान्याल
मनफ़र्द - निराली
लाज़वाल - शाश्वत
इब्दी - अनंत
इब्दी - अनंत
इल्ही - दैवी
मसफ़ा - परिशुद्ध
निजात - मुक्ति
मसफ़ा - परिशुद्ध
निजात - मुक्ति
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें