11 अप्रैल, 2023

अंतिम बिंदु - -

अन्तिम बिन्दु में पहुंच कर हर चीज़ जाती है
बिखर, चाहे प्रेम हो या बुझता हुआ
आदिम नक्षत्र, फिर भी जीवन
चाहता है बनना तुम्हारे
अन्तःस्थल का
जलता हुआ
सुरभित
धूप, पाना चाहता हैअमरत्व का दिव्य शिखर,
अन्तिम बिन्दु में पहुंचकर हर चीज़ जाती
है बिखर | भस्मके वक्षस्थल में
गिरे हुए कुछ ओस बूंद,
कालान्तर में बन
जाएंगे विरल
मोतियों
के जीवाश्म, हर एक प्रतिफलन से उभरेंगे
प्रणयी किरण, प्रेम विफल होता है
लेकिन व्यर्थ नहीं, सृष्टि के अंत
में भी वो खोजेगा हमारे
विलुप्त पद चिन्ह,
चाहेगा रचना
नव सृजन,
उस महा
तिमिर
में भी सिर्फ़ तुम मुझे आओगी नज़र,
अन्तिम बिन्दु में पहुंच कर हर
चीज़ जाती है
बिखर |
- - शांतनु सान्याल


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