08 दिसंबर, 2022

दिल के किनारे - -

 


एक ही छत के नीचे रह कर भी दिल के किनारे
नहीं मिलते,उम्र भर की नज़दीकियां भी
जोड़ नहीं पातीं एहसासों के टूटे तार,
नजूमी ने हाथ मिलाया था हमारा
बहोत हिसाब किताब के साथ,
हाथ के लकीर मिल भी
जाएं आपस में कहीं,
लेकिन रूठे हुए
सितारे नहीं
मिलते,
दिल
के किनारे नहीं मिलते । हर चीज़ नहीं होती मन
माफिक, ज़िन्दगी का दूसरा नाम है अधूरापन,
फिर भी मुक्कमल पाने की चाह नहीं
मिटती, दरअसल ख़्वाहिशों की
प्यास कभी नहीं बुझती, हम
यूँ तो ख़रीद लें बहुत कुछ,
बचपन के दोस्त, गली
चौबारे, जीते हुए
कंचे ढेर सारे
नहीं मिलते,
सब कुछ
मिल
भी जाएं लेकिन दिल के किनारे नहीं मिलते ।
* *
- - शांतनु सान्याल

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अतीत के पृष्ठों से - - Pages from Past