निर्बंध हवाएं अपने ही शर्तों पर बहती हैं,
वो किसी का निर्देश नहीं सुनतीं, हमें
पाल समायोजित करने का तरीक़ा
खोजना होगा, अंधेरे में भी हम
उम्मीद की सुबह देख सकते
हैं, भले ही हमारे पास कुछ
भी न हो, फिर भी इस
अमूल्य जीवन को
मुस्कराहटों के
साथ, जैसा
है वैसा ही क़ुबूल करना होगा, हमें पाल
समायोजित करने का तरीक़ा खोजना
होगा । अन्तःस्थल का सौंदर्य ही
प्रकृत सुंदरता है, जो काँच
की तरह है पारदर्शी,
अरण्य निर्झर
की तरह
बहती
हैं
उन्मुक्त भावनाएं, उसे जिसने नियंत्रित
कर लिया वही शख़्स है मुक्कमल
ख़ूबसूरत, जब हम अपनी
मानसिकता को अपने
वश में कर लें तब
खुलने लगते हैं
सफलता
के बंद
कपाट, हर एक क़दम में छुपा होता है नए
गंतव्य का ठिकाना, आगे बढ़ने का
हुनर हर हाल में सीखना होगा,
हमें पाल समायोजित
करने का तरीक़ा
खोजना
होगा।
* *
- - शांतनु सान्याल
05 दिसंबर, 2022
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आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 06 दिसम्बर 2022 को साझा की गयी है....
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
असंख्य आभार आपका आदरणीया ।
हटाएंहर एक क़दम में छुपा होता है नए
जवाब देंहटाएंगंतव्य का ठिकाना, आगे बढ़ने का
हुनर हर हाल में सीखना होगा,
हमें पाल समायोजित
करने का तरीक़ा
खोजना
होगा।
सही कहा..बहुत ही सुंदर सृजन ।