01 दिसंबर, 2022

 संदली छुअन - -

अंजाम ए ख़्वाब जो भी हो, सुबह का इंतज़ार करें,
मुख़्तसर है ये ज़िन्दगी, कुछ और ज़रा प्यार करें,

हज़ार एहतियात के बाद भी  बिखरेगा ख़ाक बदन,
बिखरने से पहले, दिल की  गहराई से इज़हार करें,

आस्मां के नीचे है दूर दूर तक सहरा का ख़ालीपन,
जादुई पलों में क्यूँ न दिल का  चमन गुलज़ार करें,

ग़फ़लत में पड़े रहते हैं, सभी चाहतों  के  फ़ेहरिश्त,
बारहा जो पल दे चुभन उसे ख़ुद से दर किनार करें,

वो छुअन जो पतझर में भी ले जाए वादी ए गुल में,
रूह की गहराई से, उस दुआ'गो हाथ पे ऐतबार करें,  
 * *
- - शांतनु सान्याल
 
 

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