30 दिसंबर, 2022

टूटे कांच के रहगुज़र - -

टूटे हुए आइने से, हूबहू तस्वीर बनाएं कैसे,
रस्मे दुनिया के तहत, ख़ुद को दिखाएं कैसे,

बेहिसाब नुक़्तों से मिल कर बनती है लकीर,
इक बूंद आंसू का दर्द, सरे बज़्म बताएं कैसे,

अंदर का ज़मीर अभी तक है ज़िंदा ऐ दोस्त,
हुनर ए फ़रेब से आख़िर घर को सजाएं कैसे,

वक़्त फेंकता है छुरियां, बंधे जिस्म के ऊपर,
सिफ़र तक़रीरों से, पेट की आग बुझाएं कैसे,

हम क्या हैं क्या नहीं, चश्मा उतार कर देखें,
जीस्त ए सहरा को, सब्ज़ बाग़ दिखाएं कैसे,

गुज़रे हैं कई बार, बिखरे कांच के रहगुज़र से,
इन रास्तों को यूँ छोड़ कर आख़िर जाएं कैसे,
* *
- - शांतनु सान्याल

 
 
    


 
 
 

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