25 दिसंबर, 2022

रिश्तों का दामन - -

अंधा फ़क़ीर कोई, अपना दर्द गुनगुनाता रहा,
स्पर्श के आईने को, जीवन नज़्म सुनाता रहा,
एक सम्मोह जो खींचता है, रिश्तों का दामन,
इस पार है देह, उस पार से प्राण बुलाता रहा,
सलीब है कांधे पर फिर भी यात्रा नहीं रुकती,
वध स्थल का स्तंभ, यथारीति मुस्कुराता रहा,
जी उठेंगे एक दिन सभी मृत इच्छाओं के प्रेत,
इसी विश्वास में जीवन अपने पास बुलाता रहा,
चीज़े अनायास मिल जाए तो बेमज़ा है जिंदगी,
धूसर पहाड़, नील पोशाक पहन ललचाता रहा ।
- - शांतनु सान्याल    

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