02 दिसंबर, 2020

प्रकृत शिल्पकार - -

जीवन की यात्रा छोटी ही सही जीने
का ख़ुमार न उतर पाए, हर
शख़्स के दिल में कहीं
न कहीं एक सोया
सा चित्रकार
होता है,
कुछ
भावनाएं, जल बिंदुओं में खोजती हैं
स्वरलिपि, कुछ मौन पलों में
जीवन एक बेहतरीन सा
गीतकार होता है,
कभी देखो
तो ज़रा
उन उदास आँखों के कैनवास में, हर
एक बच्चा कुछ रंगीन पेंसिलों
का तलबगार होता है,
किस के भीतर
क्या है ये
सिर्फ़
समय बता सकता है, वो मासूम जो
अभी अभी, नज़र के सामने से
गुज़रा है, साइकल की
जंग लगी रिंग
घुमाते
हुए,
किसे ख़बर, कल वो ख़्वाबों को यूँ
ही अपनी उंगलियों से घुमायेगा,
हर चेहरे में कहीं न कहीं
छुपा हुआ कलाकार
होता है, कुछ
लोग नहीं
लिख
पाते अपनी दिल की बातें कोरे - -
पृष्ठों में, लेकिन उन्हीं के
हाथों में कहीं, शिल्प
गढ़ने का अदृश्य
सृजनहार
होता
है।

* *
- - शांतनु सान्याल  
 
 

6 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 3.12.2020 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी|
    धन्यवाद
    दिलबागसिंह विर्क

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