संवाद शेष होते ही, संपर्क भी
क्रमशः कपूर की तरह
हो जाते हैं विलीन,
निष्प्राण पड़े
रहते हैं
फ़र्श
पर अनुभूतियों के कुछ धूम्र
वलय गंधहीन, उम्र भर
न जाने कितने लोगों
से हम जुड़ते हैं,
नए संपर्क
गढ़ते
हैं,
वरीयता की सूचि में अविराम
फेरबदल चलता रहता है
अंतहीन, धीरे धीरे
बातचीत की
की ज़मीं
हो
जाती है लोप, गुरुत्वाकर्षण का
नियम हो जाता है निष्क्रिय,
जीवन खोजता है अंध -
कुएँ के बहुत नीचे,
संपर्क की
जंग
लगी मशीन, फेरबदल चलता
रहता है अंतहीन, कुछ
लोग जितनी तेज़ी
से क़रीब आते
हैं, उतनी
ही
शीघ्रता से बहुत दूर चले जाते
हैं, कुछ संपर्क समय के
साथ, पंख निकलते
ही नीड़ को छोड़
जाते हैं, पड़े
रहते हैं,
कुछ
टूटे हुए डिम्ब खोल, कुछ - -
तिनके, धूसर रंगविहीन,
संपर्क भी क्रमशः
कपूर की तरह
हो जाते हैं
विलीन,
यही
वजह है कि आदमी मृत्यु पूर्व
तक चाहता है कुछ न कुछ
बात करना, संपर्क को
पकड़ के रखना
बस यही तो
है जीवन,
सारा
जग है शून्य अगर हम हो जाएँ
शब्दहीन - -
* *
- - शांतनु सान्याल
16 दिसंबर, 2020
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सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंतहे दिल से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंआह,
जवाब देंहटाएंक्या बात है।
सम्पर्क बिना शून्य है
तभी तो आखिरी समय तक बातों के माध्यम से सम्पर्क में रहना चाहता है।
बहुत खूब।
तहे दिल से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंनिष्प्राण पड़े
जवाब देंहटाएंरहते हैं
फ़र्श
पर अनुभूतियों के कुछ धूम्र
वलय गंधहीन, उम्र भर
न जाने कितने लोगों
से हम जुड़ते हैं,...
जीवन सत्य का सार लिए चिंतनपरक सृजन ।
तहे दिल से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंबहुत सुन्दर गद्यगीत।
जवाब देंहटाएंतहे दिल से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंThis was a fantastic blog. A lot of very good information given,. I have saved this link and will return in a couple of months, when I need to build my first blog. Thank you for the information.
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तहे दिल से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंNice blog very interesting with lot of information
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तहे दिल से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 17.12.2020 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा| आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी|
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
तहे दिल से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंबहुत बढ़िया सान्याल जी। बधाई और शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंतहे दिल से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंबेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंतहे दिल से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंशीघ्रता से बहुत दूर चले जाते
जवाब देंहटाएंहैं, कुछ संपर्क समय के
साथ, पंख निकलते
ही नीड़ को छोड़
जाते हैं, पड़े
रहते हैं,
कुछ
टूटे हुए डिम्ब खोल,...सही कहा..बहुत ही सुंदर मन को छूती अभिव्यक्ति।
सादर
तहे दिल से शुक्रिया - - नमन सह।
हटाएंबहुत बढ़िया सान्याल जी
जवाब देंहटाएंह्रदय तल से आभार - - नमन सह।
हटाएं
जवाब देंहटाएंToo good
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ह्रदय तल से आभार - - नमन सह।
हटाएंह्रदय तल से आभार - - नमन सह।
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