11 अगस्त, 2021

असमाप्त कविता - -

संभव नहीं एक ही जीवन में परिपूर्ण प्रणय
की प्राप्ति, न जाने कितने प्रकाश वर्ष
चाहिए तुम तक पहुँचने के लिए,
तुम्हें रूह से महसूस करने
के लिए चाहिए न
जाने कितने
जन्म
जन्मांतर की पुनरावृति, संभव नहीं एक
ही जीवन में परिपूर्ण प्रणय की प्राप्ति।
सहज नहीं एक ही जीवन में
तुम तक पहुँच पाए हिय
प्रेषित असमाप्त
कविता, इस
अनंत
अभिलाष का गंतव्य है कहाँ, मुझे ज्ञात  
नहीं, बही जा रही है सहस्त्र आलोक
स्रोत लिए अपने संग, वक्ष स्थल
की विक्षिप्त सरिता, इस
संक्षिप्त जीवन में
मुमकिन नहीं
है प्रेम
करना, अनंत जीवन चाहिए इस चाह के
लिए फिर भी न हो पाएगी इस
अक्षय प्रीत की समाप्ति,
संभव नहीं एक ही
जीवन में
परिपूर्ण
प्रणय
की प्राप्ति - - -

* *
- - शांतनु सान्याल
 

12 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर सटीक विचार , आकर्षक अभिव्यक्ति | सुन्दर रचना |

    जवाब देंहटाएं
  2. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा गुरुवार (12-08-2021 ) को धरती पर पानी ही पानी (चर्चा अंक 4144) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

    जवाब देंहटाएं
  3. जन्म जन्मांतर की पुनरावृति, संभव नहीं एक
    ही जीवन में परिपूर्ण प्रणय की प्राप्ति।
    सहज नहीं एक ही जीवन में
    तुम तक पहुँच पाए हिय
    प्रेषित असमाप्त कविता
    गहन भाव लिए बहुत ही सुन्दर कविता
    वाह!!!

    जवाब देंहटाएं

अतीत के पृष्ठों से - - Pages from Past