23 अगस्त, 2021

बंधन मुक्त प्रभात - -

हिन्दुकुश से लेकर म्यांमार तक हमने
देखा है, वही मासूम चेहरे चीखते
हुए, कांटेदार तारों के बीच
हाथ बढ़ा कर जीवन
की भीख मांगते
हुए, उड़ते
विमान
से
नीचे गिरते हुए, ख़ैबर दर्रे से निकल
कर हो सुदूर मलय प्रदेश, वही
मानवता का शव उठा कर
लोगों ने फेंका है बारम्बार,
हमने देखा है निरीह
लोगों का महा
निष्क्रमण,
रेल की
पटरियों में बिखरे हुए अंग प्रत्यंग,
गंगा के किनारों पर उभरी हुई
क़ब्रें, जली हुई झोपड़ियां,
टूटी हुई हांड़ी, बिखरे
हुए अध पके
चांवल,
हमने देखा है शुभ्र वस्त्रों में लोगों
का वीभत्स अट्टहास, वो
बामियान हो, या
उत्तर कोलकाता
मूर्ति तोड़ने
वाले
कहाँ नहीं मौजूद, हमने देखा है - -
स्वभाषा न होने का दंश,
वही लोग जो देते हैं
राष्ट्रभक्ति,
स्वधर्म
का
हुंकार, राजत्व की ख़्वाहिश में वही
चेहरे, अपनी ही जाति पर करते
हैं अत्याचार, हमने देखा है,
बहुत कुछ लघु जीवन
में, फिर भी हम
देखना चाहते
हैं एक
बंधन मुक्त भीगा सा प्रभात, जहाँ
हर चेहरा लगे शबनमी
गुलाब - -
* *
- - शांतनु सान्याल   
 










13 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 23 अगस्त 2021 शाम 3.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. जय मां हाटेशवरी.......
    आपने लिखा....
    हमने पढ़ा......
    हम चाहते हैं कि इसे सभी पढ़ें.....
    इस लिये आप की ये खूबसूरत रचना.......
    दिनांक 25/08/2021 को.....
    पांच लिंकों का आनंद पर.....
    लिंक की जा रही है......
    आप भी इस चर्चा में......
    सादर आमंतरित है.....
    धन्यवाद।

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  3. काश! हम जल्द ही देख पाते स्वर्णिम प्रभात मुक्ति का । मर्मस्पर्शी भाव सृजन ।

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  4. आपका ह्रदय तल से असंख्य आभार, नमन सह।

    जवाब देंहटाएं
  5. देखना चाहते
    हैं एक
    बंधन मुक्त भीगा सा प्रभात, जहाँ
    हर चेहरा लगे शबनमी
    गुलाब - -
    काश कि इस विभत्सता के बाद भी बंधनमुक्त प्रभात दिखे
    बहुत ही मर्मस्पर्शी सृजन।

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