19 अगस्त, 2021

इच्छा-मृत्यु - -

सायादार दरख़्तों के बीच है पिंजरों का
संसार, बंद कांच के घरों में तैरती,
रंगीन मछलियां, खोलती हैं
मुग्धता का द्वार, इन
कटहरों से झांकते
हैं कुछ विश्व
विख्यात
चेहरे,
जिन्हें मिल चुका है, चुप रहने का - -
पुरस्कार, सायादार दरख़्तों के
बीच है पिंजरों का संसार।
कुछ आवाज़ चीखते
चीखते निस्तब्ध
हो चुके हैं
कुछ
उकसाने पर सिर्फ़ गुर्रा जाते हैं, हर
शख़्स यहाँ पर कहना चाहता है
बहुत कुछ, लेकिन कहते
कहते वो सभी भर्रा
जाते हैं, अजीब
से हैं सभी
लोग
यहाँ अपने अपने चिड़ियाघर तक
सीमाबद्ध, नियति को बनाए
बैठे हैं लक्ष्मण रेखा, नहीं
चाहते अग्निवलय
को करना पार,  
सायादार
दरख़्तों के बीच है पिंजरों का संसार।
* *
- - शांतनु सान्याल


 

4 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 19 अगस्त 2021 शाम 3.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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