07 अगस्त, 2021

निर्बंध एहसास - -

बहुत कुछ कहने को रहता है सब
कुछ भीग जाने के बाद, एक
सोंधा सा एहसास बना
रहता है देर तक
वर्षा थम
जाने
के बाद। भीगी हवाओं में तैरते हैं
मेघ कणों के शब्द, कोहरे  
की तरह बातें करती
हैं तब अंदर की
स्तब्धता,
वो
चाहती हैं बहुत कुछ उजागर - -
करना, वो ढूंढती हैं खोया
हुआ शैशव, नदी
पहाड़ का
खेल,
अतीत के ज़र्द बटुए से झांकती - -
रहती है  अक्सर आज भी
मख़मली मुग्धता।
अवाक ह्रदय
देखता
रहता है उन क्षणों में महीन कपास
की तरह गिरते हुए तुषार
कणिका, वो छूना
चाहता है
उन्हें
नज़दीक से, हथेलियों में रह जाते
हैं कुछ सजल माटी गंध,
ज़िन्दगी उन लम्हों
में लगती है
निर्बंध    
कोई चार पंक्तियों की क्षणिका - -

* *
- - शांतनु सान्याल
 


20 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 08 अगस्त 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (8-8-21) को "रोपिये ना दोबारा मुट्ठी भर सावन"(चर्चा अंक- 4150) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
    --
    कामिनी सिन्हा

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  3. चाहता है
    उन्हें
    नज़दीक से, हथेलियों में रह जाते
    हैं कुछ सजल माटी गंध,
    ज़िन्दगी उन लम्हों
    में लगती है
    निर्बंध
    कोई चार पंक्तियों की क्षणिका - बाहित सही सटीक पंक्तियां,सुंदर रचना।

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  4. अतीत के ज़र्द बटुए से झांकती - -
    रहती है अक्सर आज भी
    मख़मली मुग्धता।
    अवाक ह्रदय
    देखता
    रहता है उन क्षणों में महीन कपास
    की तरह गिरते हुए तुषार
    कणिका, वो छूना
    चाहता है
    प्रत्येक पंक्तियाँ बहुत ही सुंदर और भावात्मक है!

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  5. "अतीत के ज़र्द बटुए से झांकती - -
    रहती है अक्सर आज भी
    मख़मली मुग्धता।"...

    और

    "ज़िन्दगी उन लम्हों
    में लगती है
    निर्बंध
    कोई चार पंक्तियों की क्षणिका - -" इन दो अतुल्य बिम्बों से एक संवेदनशीलता से भरे शब्दचित्रण को बख़ूबी उकेरा है आपने .. दोनों बिम्ब अनूठे लगे .. बस यूँ ही ...

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  6. नज़दीक से, हथेलियों में रह जाते
    हैं कुछ सजल माटी गंध,
    ज़िन्दगी उन लम्हों
    में लगती है
    निर्बंध
    कोई चार पंक्तियों की क्षणिका - -अनुपम रचना है खूब बधाई...

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  7. बारिश के बाद का सोंधापन बसा है इस रचना में ।।
    सुंदर अभिव्यक्ति ।

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  8. भावों की अथाह गहराई लिए बेहतरीन सृजन शब्द-शब्द हृदयग्राही।
    सादर नमस्कार सर।

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