05 अगस्त, 2021

गहरी नींद से पहले - -

कभी एहसास करो ख़ुद के अंदर, कि
तुम हो एक मासूम चेहरा, मंदिर
की सीढ़ियों पर चुपचाप खड़ा
हुआ, तुम महसूस करो
अपने भीतर, कि
तुम चाहते
हो बंद
हथेलियों में कच्चे नारियल का एक -
छोटा सा फांक, और कुछ नकुल -
दाने, कभी अनुभव करो कि
नींद से पहले एक झटका
तुम्हें चमत्कृत कर
जाए, और वो
प्रसाद जो
तुम्हारे
हाथ में था फ़र्श पर दूर तक बिखर -
जाए, कदाचित उन्हें खोज कर
अपने ही कपड़ों से धूल
झाड़ कर तुम उन्हें
हलक़ से नीचे
उतार लो,
तब
तुम्हें स्पष्ट दिखाई दे जाएंगे जीवन
के सही माने, तुम महसूस करो
अपने भीतर, कि तुम चाहते
हो बंद हथेलियों में
कच्चे नारियल
का एक
छोटा
सा फांक, और कुछ नकुल - दाने। - -


* *
- - शांतनु सान्याल



11 टिप्‍पणियां:

  1. वो
    प्रसाद जो
    तुम्हारे
    हाथ में था फ़र्श पर दूर तक बिखर -
    जाए, कदाचित उन्हें खोज कर
    अपने ही कपड़ों से धूल
    झाड़ कर तुम उन्हें
    हलक़ से नीचे
    उतार लो,
    सही कहा कभी महसूस भी कर पाये ये बातें और ऐसी जरूरतें तो समझ आये जरूरतमन्द लोगों की मजबूरी
    बहुत ही सुंदर सृजन।

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  2. आपका ह्रदय तल से असंख्य आभार, नमन सह।

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  3. बहुत ही अच्छा संदेश देती बेहतरीन रचना

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  4. वाह...जीवन दर्शन पर सटीक कविता...। जीवन भी यहीं कहीं होता है जहां हमारे विचारों का प्रवाह होता है...। गहन रचना...। खूब बधाई

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