27 अगस्त, 2021

उस पार की मुलाक़ात - -

प्रस्तर युगीन, किसी एक आदिम बिहान
में कदाचित, अपना पुनर्मिलन हो,
गुह कंदराओं से निकल कर,
अरण्य वीथिकाओं में
कहीं हिम कणों
से धुल कर
पारदर्शी
ये जीवन हो, किसी एक आदिम बिहान
में कदाचित, अपना पुनर्मिलन
हो। अदृश्य उस मृत्यु पार
मुलाक़ात में, क्या
तुम पहचान
पाओगे ?
कहना शायद कठिन हो, फिर भी कहीं
न कहीं, पुष्प गंधों में शाब्दिक
स्पर्श रहेगा जीवित, तुम
छू लेना यूँ ही बेख़ुदी
में बिखरे हुए  
जीवाश्म
को,
मुमकिन है कहीं न कहीं मेरा ठिकाना
जान जाओगे, अदृश्य उस मृत्यु
पार मुलाक़ात में, क्या तुम
पहचान पाओगे ?
उस आदिम
लावण्य
में
पुनः हम सृजन करेंगे विमुक्त जीवन,
प्रकृति पुरुष का एकरूप
बंधन - -
* *
- - शांतनु सान्याल



  

2 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 27 अगस्त 2021 शाम 3.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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