पलक झपकने का अर्थ, गहरा झुकाव नहीं होता,
गहन प्रणय वो है, जिसका कोई बहाव नहीं होता,
यूँ तो ज़माने की नज़र से बचना है बहुत ही सरल,
आईने से बच निकलने का कोई बचाव नहीं होता,
बेवजह का है रोना, उभरती है ज़िन्दगी हर ग़म से,
वक़्त भर न पाए, ऐसा कोई गहरा घाव नहीं होता,
कहने को मुहोब्बत में, लोग सितारे तोड़ लाते हैं,
यूँ तो टूटते तारों से आसमां को लगाव नहीं होता,
आईने को कोसने से अक्स माज़ी में नहीं लौटते,
इस हसीं जिस्म का, स्थायी रख रखाव नहीं होता,
क़ुदरत का है अपना अलग ही, आइन ओ क़ानून,
ख़ालिस दिलों का लेकिन फ़रेबी दिखाव नहीं होता,
यूँ किनारे पर बैठ कर, उस पार की बातें हैं अर्थहीन,
बिन खेए नदी पार करा दे ऐसा कोई नाव नहीं होता,
* *
- - शांतनु सान्याल
07 नवंबर, 2022
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सादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (8-11-22} को "कार्तिक पूर्णिमा-मेला बहुत विशाल" (चर्चा अंक-4606) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
असंख्य आभार नमन सह ।
जवाब देंहटाएंगहन अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंअसंख्य आभार नमन सह ।
हटाएंवाह! भावपूर्ण
जवाब देंहटाएंअसंख्य आभार मान्यवर ।
जवाब देंहटाएंयूँ किनारे पर बैठ कर, उस पार की बातें हैं अर्थहीन,
जवाब देंहटाएंबिन खेए नदी पार करा दे ऐसा कोई नाव नहीं होता,
बहुत सुंदर।
असंख्य आभार आदरणीया ।
हटाएंबहुत ही सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंअसंख्य आभार आदरणीया ।
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